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देखिये चुनावी बजट के बाद कैसे अपनी ही पीठ थपथपा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं बीजेपी.

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नमस्कार दोस्तों,

दोस्तों, जैसा की हम सब जानते हैं की मोदी सरकार ने 2019 – 20 के लिए अपने शासन काल का अंतरिम बजट पेश कर दिया है। इस बजट के केवल ऊपरी जानकारी से ही आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं की यह बजट पूरी तरह से एक चुनावी घोषणापत्र की तरह पेश किया गया है। यह बजट बीजेपी सरकार की ओर से अगली लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर बनाई गई है जिसका की वास्तविकता से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है। अगर मैं इसे बजट न कहकर बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र कहूं तो कोई गलत नहीं होगा।
दोस्तों अब लोकसभा चुनाव में बहोत ही कम वक़्त शेष रह गया है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी जीत के लिए हर मुंकिन दांव खेल रही है। मोदी सरकार ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहती जिससे की उन्हें लोक सभा चुनाव में किसी तरह का नुकसान उठाना पड़े। इस बजट में हर वर्ग के वोटर को पूरी तरह से ध्यान में रखा गया है और उन्हें लुभाने की कोशिश की गई है।
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2018 के आखिर में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों को खोने के बाद बीजेपी को आखिर यह बात समझ में आ ही गई की किसान और मजदूर वर्ग उनसे किस हद तक नाराज़ हैं, यही वजह है की बीजेपी इस प्रकार की किसी भी गलती को दुहराना नहीं चाहती।
बीजेपी की सरकार की और से पेश की गई अंतरिम बजट को एक ऐसे खुसबूदार और स्वादिष्ट लॉलीपॉप की तरह पेश किया गया है जो पहली नज़र में हर किसी को खुश करने की काबलियत रखता है। इस बजट में किसान, मजदूर, श्रमिक, दैनिक वेतनभोगी, प्राइवेट एवं सरकारी कर्मचारी, निम्न  माध्यम वर्ग सभी को ध्यान में रखा गया है और सभी के हित के लिए योजनाएं पेश की गई है।
आइये जानते है सरकार द्वारा पेश की गई अंतरिम बजट में क्या है खास…. …. …
1 . सरकार ने अपने अंतरिम बजट में किसानों के लिए सम्मान राशि के रूप में सालाना 6000 रुपये देने की घोषणा की है। इस योजना के लागू होने के बाद जिन किसानों के पास पांच एकड़ से कम जमींन है उन्हें सालाना 6000 रुपये अर्थात मासिक 500 रुपये मिलेंगे। इस योजना से सरकार ने पांच एकड़ की भूमि धारी किसान की औकात 17 रुपये दैनिक के रूप में घोषित कर दिया है। सरकार ने इस योजना को किसान सम्मान निधि का नाम दिया है, अब यह देश के किसानों पर निर्भर करता है की वे इसे अपना सम्मान समझते हैं या फिर अपमान।
2 . सरकार ने इस बजट में मध्यम वर्ग के कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है. इनकम टैक्स राहत के लिए अधिकतम आमदनी की सिमा 2.5 लाख से बढ़ा कर 5 लाख कर दी गई है। हालांकि इस देश की 70  प्रतिशत से अधिक आबादी सालाना 3 लाख रुपये से कम की आमदनी करने वालों की है जिनके लिए टैक्स फ्री इनकम की इस नए दायरे का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ने वाला।
3 . मज़दूरों के लिए हुआ सालाना बोनस का ऐलान। सनगठित छेत्र में काम करने वाले ऐसे मज़दूर जिनकी मासिक आय 21 हजार रुपये से कम है उन्हें केंद्र सरकार की ओर से सालाना 7000 रुपये बोनस के तौर पर दिए जाने की घोषणा की गई है। वहीँ 60 साल से ज्यादा उम्र के किसानों एवं मज़दूरों को प्रतिमाह 3000 रुपये पेंशन के तौर पर दिए जाने की घोषणा की गई है।
इसके अलावा और भी कई सौगात देश की जनता को मोदी सरकार की और से इस अंतरिम बजट के द्वारा मिलने वाले हैं। पर ऊपर जिन तीन मुख्य योजनाओं का ज़िक्र मैंने किया इसका सीधा असर सरकारी मुद्रा कोष को पड़ने वाला है। अब देखना यह है की सरकार अपने इन वादों को किस प्रकार पूरा करती है। पर हर हाल में नुक्सान जनता का ही होने वाला है क्योंकि जिस सरकारी धन को इन योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार पानी की तरह बहाने जा रही है वह धन भी देश की जनता का अर्थात हमारा है।
इससे बेहतर होता की सरकार किसानों के फसल का समर्थन मूल्य बढाती और बाजार के बिचौलियों को ख़त्म कर किसानों को आर्थिक रूप से मज़बूत करती। मज़दूरों के लिए न्यूनतम सैलरी निश्चित करती और सरकारी नौकरियों के लिए नयी रिक्तियां लाती। पर हमारी सरकार देश की जनता को केवल निकम्मा और आश्रित बनाती जा रही है। वे शायद देश की जनता को एक लाचार और मज़बूर की तरह अपने आगे हाथ फैलाये ही देखना चाहते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अंतरिम बजट की घोषणा के बाद कहा की हमने ‘सबका साथ सबका विकाश’ के अपने अजेंडे पर काम किया है और सभी वर्ग का विशेष ध्यान रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट के बाद अपने एक बयांन में कहा की हमारे इस बजट को सुनकर विपक्ष का मुँह लटक गया है। उनकी इस बात से ऐसा लगा जैसे की वे अपने हाथ से अपनी ही पीठ थपथपा रहे हों।
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2019 लोकसभा चुनाव : जानिये किसकी बनेगी सरकार।

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नमस्कार दोस्तों,

दोस्तों, 2019 में देश के राजनीतिज्ञों की बोर्ड परीक्षा है। बस कुछ ही महीने शेष रह गए हैं लोकसभा चुनाव के लिए। 2014 में मिले पूर्ण बहुमत की जीत से भारतीय जनता पार्टी का आत्मविश्वास भले ही सातवें आसमान पर प्रतीत हो रही है पर देश की जनता का मूड़ बदलते देर नहीं लगती। अपने अति आत्मविश्वास के चलते तीन राज्यों में अपनी सत्ता गवां चुकी भारतीय जनता पार्टी अब अपना हर कदम काफी सोच समझकर उठा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने आने वाले लोकसभा चुनाव की तयारी के लिए अपनी कमर कस ली है।

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भारतीय जनता पार्टी ने ‘नेशन विद नमो’ और ‘पहला वोट मोदी के नाम’ इन दो अभियानो के जरिये युवाओं एवं पहली बार अपने वोट डालने वाले किशोरों पर निशाना साधने की पूरी तैयारी कर ली है। भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा की भाजपा मंत्र सबका साथ सबका विकास है और हम इसी अजेंडे के साथ आगे बढ़ते हुए देश के युवाओं, गरीबों, महिलाओं, दलितों और सैनिकों सभी के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाते हुए देश की जनता से देश के विकास के लिए एकबार फिर से मोदी जी और भारतीय जनता पार्टी को को पूर्ण बहुमत देने की अपील करेंगे।

2019 विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनितिक दलों में मची सियासी हलचल के बीच महागठबंधन पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा का विवादित बयान भी सामने आया है। संबित पात्रा जी का कहना है की विपक्ष महागठबंधन से देश को तोड़ने की साजिश कर रही है। संबित पात्रा अपने इस विवाद में एक कदम और आगे बढ़ते हुए यह तक कह रहे हैं की इस महागठबंधन में विपक्ष के साथ पकिस्तान भी लिप्त है। वहीँ संबित पात्रा के इस बयान को विपक्ष ने बीजेपी को तीन राज्यों में मिली हार का साइड इफ़ेक्ट बताया है।

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आइये जानते हैं किन मुद्दों पर टिकी होगी 2019 लोकसभा चुनाव की जीत। 

1 . अयोध्या राम मंदिर 

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भारतीय जनता पार्टी अपने शासन के लगभग पुरे कार्यकाल में सबसे अधिक जोर अगर किसी मुद्दे पर दिया है तो वह है हिंदुत्व और अयोध्या राम मंदिर। भाजपा का मंदिर हम ही बनाएंगे के नारे से पूरा हिन्दू समाज भाजपा की और झुक सा गया था अब बीजेपी का यही नारा उसके लिए 2019 लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। अभी तक अयोध्या राम मंदिर पर कुछ भी एकपक्षीय फैसला नहीं आ पाया है और फैसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अब देखना यह है की बीजेपी वोट की राजनीति के लिए कोर्ट के खिलाफ जाकर राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाती है या कोर्ट के फैसले पर चलकर जनता की नज़रों में झूठा साबित होती है।

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2. दलित और मुस्लिम वोट बैंक 

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मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने के बाद से अपने फैसलों और बयानों से लगातार दलित और मुश्लिम समाज को आहत किया है। ऐसे में देखना यह होगा की बीजेपी इन दलित और मुश्लिम अल्पसंख्यकों की नाराज़गी कैसे दूर करते हैं और किस प्रकार एक बड़ा वोट बैंक अपने हाथों से छीनने से बचा पाते हैं।

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3. रोजगार 

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साल 2014 में मोदी सरकार यदि सत्ता में आ पाई तो इसका पूरा श्रेय देश की युवा पीढ़ी को जाता है जो की मोदी जी के द्वारा दिखाए गए डिजिटल इंडिया के सपनों में अपना भविष्य देखकर उनके झांसे में आ गए और उन्हें वोट दे बैठे। पर सत्ता में आने के बाद मोदी जी ने सबसे बड़ा मजाक और विश्वासघात इस देश की बेरोजगार युवा पीढ़ी के साथ किया है। रोजगार के नाम पर पकोड़े बेचने की सलाह देने वाले मोदी जी को देश की युवा माफ़ या नहीं यह भी 2019 के लोकसभा चुनाव से ही पता चलेगा। यह आश्चर्य की बात है की सत्ता के कार्यकाल की समाप्ति का वक्त निकट आने के बाद भी मोदी जी ने देश के युवाओं के हित में अब तक कोई भी योजना नहीं बनाई और न ही रोजगार की व्यवस्था की।

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4 . राफेल डील

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देश की सेना का शक्ति वर्धन करने के लिए केंद्र द्वारा किये गए राफेल विमान सौदे में गड़बड़ी की बात कहते हुए सभी विपक्षी दलों सहित कांग्रेस ने मोदी सरकार पर एक बड़े भ्रस्टाचार में लिप्त होने और देश की जनता के पैसों एवं सैनिकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का बड़ा आरोप लगाया है। हलाकि सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी है पर खुद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कुछ बिंदुओं पर संसोधन की मांग करके शक की सुई एकबार फिर अपनी और घुमा ली है। अब देखते हैं की कांग्रेस इस मुद्दे को और कितना भुना पाती है।

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राफेल डील पर मोदी ने सुप्रीम कोर्ट से बोला झूठ, पकड़े जाने पर कहा सुप्रीम कोर्ट की समझ में गलती।



नमस्कार दोस्तों,
दोस्तों, जैसा की आप सब जानते है कि राफेल डील मामले में मोदी सरकार को विपक्षी दल ने घेर रखा है और इस मुद्दे की वजह से भारतीय जनता पार्टी जनता के बीच अपना भरोसा भी खोटी जा रही है। इस मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनते हुए भारतीय जनता पार्टी को क्लीन चीट देदी और इसी के साथ सभी भाजपा समर्थक कांग्रेस पर टूट पड़े। पर बीजेपी की यह खुसी ज्यासा समय तक नहीं ठीक पाई क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जिस सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुवे केंद्र सरकार को क्लीन चीट  दी थी असल में मोदी सरकार ने वह झूठी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी। पीएसी के अध्यक्ष ने इस बात से साफ़ इंकार कर दिया और कहा की उनकी जानकारी में राफेल डील से सम्बंधित कोई रिपोर्ट बना ही नहीं। 

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अब इस मामले में झूठ पकडे जाने पर  मोदी सरकार ने बचाव में अपनी सफाई पेश करते हुए कहा है कि हमने कोर्ट को कोई झूठा रिपोर्ट नहीं दिया बल्कि हमारी दलील को कोर्ट ने ही गलत समझा.
मोदी सरकार ने शनिवार को राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के आये फैसले के एक पैराग्राफ में संसोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (पीएसी ) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (सीएजी ) के रिपोर्ट का जिक्र किया गया है. मोदी सरकार ने कहा है कि कोर्ट द्वारा जांच रिपोर्ट की अलग अलग व्याख्या किये जाने की वजह से विवाद उत्पन्न हो गया है। 

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केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ  क्रमांक 25 के दो वाक्यों पर कहा है कि यह शायद  उस नोट पर आधारित है जिसे केंद्र ने मुहरबंद लिफाफे में मूल्य विवरण के साथ जमा किया था लेकिन अदालत द्वारा इस्तेमाल किये गए शब्द से विपक्ष द्वारा इसका अलग मतलब निकाला जा रहा है.
केंद्र ने इस वाक्य का मतलब साफ करते हुए कहा कि वह यह नहीं कह रहा कि पीएसी रिपोर्ट का सीएजी  ने जांच किया था या संपादित हिस्से को संसद के समक्ष विमर्श के लिए रखा गया .  केंद्र ने इस नोट पर हुई गलत फहमी को स्पष्ट करते हुए कहा किया कि नोट में कहा गया है कि सरकार पीएसी  के साथ मूल्य विवरण को पूर्व में साझा कर चुकी है. यह वाक्य भूतकाल में लिखा गया है और यह तथ्यों के साथ पूर्ण रूप से सही है। 

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केंद्र द्वारा पेश की गई याचिका में कहा गया है कि उक्त नोट मोटे अक्षरों में लिखा गया है . जिसमे यह कहा गया है कि सरकार मूल्य विवरणों पर पीएसी के साथ विमर्श कर चुकी है. पीएसी की रिपोर्ट का  सीएजी परीक्षण कर रही है .रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के संज्ञान में है और यह देश के सामने है. इस याचिका के मुताबिक शब्द ‘हैज बीन (हो चुका है)’ भूतकाल के लिए इस्तेमाल हुआ है जिसमे लिखा है कि सरकार कैग के साथ मूल्य विवरण को पहले ही साझा कर चुकी है. यह भूतकाल में है और सही है। इस वाक्य के दूसरे हिस्से में सीएजी  के संबंध में कहा गया है कि कैग की रिपोर्ट का पीएसी परीक्षण कर रही है . फैसले में ‘इज’ की जगह ‘हैज बीन’ का इस्तेमाल हुआ है.
केंद्र ने शीर्ष अदालत के आदेश में आवश्यक संशोधन की मांग करते हुए कहा कि इसी तरह फैसले में यह कथन है कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया. इस बारे में कहा गया कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया और यह सार्वजनिक है.

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याचिका के मुताबिक, नोट में केंद्र ने यह कहा गया है कि पीएसी रिपोर्ट का सीएजी परीक्षण कर रही है. यह प्रक्रिया की व्याख्या है जो आम तौर पर उपयोग में लायी जाती है।  पर फैसले में अंग्रेजी में ‘‘इज’’ यानि ‘‘है’’ की जगह ‘‘हैज बीन’’ अर्थात ‘‘कर चुकी है’’ का इस्तेमाल किया गया है। 


केंद्र सरकार ने ऐसे वक्त पर यह याचिका दायर की है जब विपक्षी कांग्रेस और अन्य ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं और सरकार पर सीएजी रिपोर्ट को लेकर शीर्ष न्यायालय को गुमराह किये जाने का आरोप लगाया गया है।
मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए  सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र के हक़ में फैसला सुनाते हुए कहा राफेल लड़ाकू विमान के सौदे की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और इस लेन देन किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं पायी गई जिसपर सवाल उठाये जा सकें। न्यायलय इस सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया से ‘‘संतुष्ट’’ है. शीर्ष अदालत ने विपक्ष द्वारा किये गए जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा की यह देश की सुरक्षा का मामला है और इस मामले पर और विवाद की कोई गुंजाईश नहीं रहनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस फैसले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। 

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सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसे फ्रांस से 36 विमान खरीदने के ‘‘संवेदनशील मुद्दे’’ में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं लगता. बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने राफेल सौदे के मामले में केंद्र की मोदी सरकार पर  आरोप लगाते हुए कहा है की केंद्र ने अपने झूठ बोलने की प्रवित्ति से सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बख्सा है। विपक्षी दलों का केंद्र पर आरोप है की केंद्र ने अपनी झूठ नीति से सुप्रीम कोर्ट और संसद को गुमराह किया है।  आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर अटॉर्नी जनरल को संसद में बुलाए जाने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल मामले में सरकार ने संसद और सुप्रीम कोर्ट दोनों को भी गुमराह किया किया है। 

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खड़गे ने कहा- सरकार ने कोर्ट में सही तथ्य पेश नहीं किए


सर्वोच्च न्यायालय की ओर से राफेल मामले में फैसला सुनाये जाने के एक दिन बाद, लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खड़गे ने शनिवार को कहा कि वह महा न्यायवादी और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को इस मामले की जांच के लिए दबाव बनाएंगे और उनसे पूछेंगे कि कब सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई और कब पीएसी ने उसकी जांच की।  कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बुलाये गए मीडिया कॉन्फ्रेंस में खड़गे ने यहां मीडिया से कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष झूठे दस्तावेज पेश कर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने वहां दिखाया कि पीएसी रिपोर्ट पेश की गई है और सीएजी ने उसकी जांच की है.’ खड़गे ने कहा, ‘सरकार ने अदालत में यह झूठ बोला कि सीएजी रिपोर्ट को सदन और पीएसी में पेश किया गया है. उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि पीएसी ने इसकी जांच की है. उन्होंने यह भी दावा किया कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक है. अब केंद्र को बताना होगा की यह कहां है? क्या आपने इसे देखा है? मैं पीएसी के अन्य सदस्यों के समक्ष इस मामले को ले जाने वाला हूं.’

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कोर्ट ने खारिज कर दी थी जांच संबंधी याचिका
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राफेल सौदे की अदालत की निगरानी में जांच कराने के लिए विपक्ष द्वारा की गई याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने कहा था कि विमान की कीमत सीएजी के साथ साझा की गई और सीएजी की रिपोर्ट की जांच पीएसी ने की. अब इस रिपोर्ट का केवल संपादित भाग ही संसद के समक्ष पेश किया गया है और यह सार्वजनिक है.’
कोर्ट को गुमराह करने के लिए सरकार मांगे माफी

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सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय को ‘गुमराह’ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सरकार को इसके लिए सर्वोच्च न्यायलय और देश की जनता से माफी मांगने को कहा है।  उन्होंने कहा, ‘ रिपोर्ट को कभी भी संसद में पेश नहीं किया गया है. केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में गलत सूचना पेश की है।  सर्वोच्च न्यायालय में सीएजी रिपोर्ट पर गलत तथ्य पेश कर अदालत को गुमराह करने के लिए नरेंद्र मोदी को माफी मांगनी चाहिए.’
खड़गे ने यह भी कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय का आदर करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट कोई जांच एजेंसी नहीं है और केवल संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) राफेल मामले में कथित भ्रष्टाचार की जांच कर सकती है.

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क्या बोले संजय सिंह?
संजय सिंह ने कहा कि जब सीएजी की कोई जांच रिपोर्ट आई ही नहीं तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कैसे कहा कि ऐसी कोई जांच रिपोर्ट है. सरकार के अटॉर्नी जनरल ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सील बंद लिफाफे में जो कुछ भी दिया गया वह उन्होंने नहीं पढ़ा है तो अब उन्होंने करेक्शन का हलफनामा कैसे दिया? उन्हें वह सीलबंद रिपोर्ट कहां से मिली?
आप सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में जिक्र है कि एयरफोर्स प्रमुख ने कीमतों के खुलासे पर आपत्ति की थी. एयरफोर्स चीफ ने यह बयान कब दिया या ऐसा कोई एफिडेविट कब दिया था? नए एफिडेविट में भी सरकार कह रही है कि सीएजी को कीमतों के बारे में जानकारी दे दी गई है लेकिन सीएजी की रिपोर्ट तो जनवरी के बाद आएगी.

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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हलफनामे के मुताबिक यह माना कि सीएजी और पीएसी कीमतों को लेकर पहले ही जांच कर रही है. शायद इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने राफेल घोटाले में जांच के आदेश नहीं दिए. अगर कोर्ट को यह पता होता कि ऐसी कोई जांच नहीं हुई है तो शायद इस मामले में जांच के आदेश दिए जाते.
सिब्बल बोले – केंद्र ने बोला झूठ

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राफेल पर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस  कर कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने राफेल के मामले में जो    जो जानकारी दी है उसके सही होने पर संदेह उत्पन्न हो रहा है। इसलिए इस स्थिति को साफ़ करने के लिए यह जरुरी हो जाता है कि पीएसी (लोक लेखा समिति) में अटॉर्नी जनरल को बुलाया जाना चाहिए, जिससे यह साफ हो सके कि कोर्ट में गलत दस्तावेज क्यों जमा कराए गए, जिसका की कभी कोई जिक्र भी नहीं किया गया। यह बेहद संवेदनशील मामला है, जिस पर संसद  में चर्चा किया जाना बेहद जरुरी है। 


कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि कांग्रेस इस मामले में हमेशा स्पष्ट रही है कि इस मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट सही जगह नहीं है, यहां पर हर तरह की फाइल का खुलासा नहीं किया जा सकता. यह सर्वोच्च न्यायलय के अधिकारछेत्र में भी नहीं आता। . उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले में प्रेस रिपोर्ट और सरकार के हलफनामे का जिक्र किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट के न्यायाधिकार के कारण वो  इस मामले का फैसला नहीं कर सकते। 

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नमस्कार दोस्तों,

दोस्तों, भारतीय वायु सेना को मजबूत बनाने के लिए मोदी सरकार ने जो राफेल डील की  उसी राफेल डील को कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। भारतीय वायु सेना की मज़बूती के लिए किया गए इस समझौते ने सेना से पहले कांग्रेस को मज़बूती दे दी। इस राफेल डील को सबसे बड़ा भ्रस्टाचार बताकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मोदी सरकार को जमकर घेरा। इस एक मुद्दे ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार नीव हिला दी और देश की जनता के दिलों में मोदी की नीतियों एवं कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। यह एक मुद्दा भारतीय जनता पार्टी की सबसे कमजोर कड़ी साबित हुई और भाजपा को देश की जनता ने इस विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद चखाया।

सरकार ने की कपल्स से अपील, देर मत करो बच्चे पैदा करो।

पर अब जब विधान सभा चुनाव संपन्न हो चूका है और कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में कामयाब हो चुकी है ऐसे में देश के सर्वोच्च न्यायलय ने इस मामले में अपना फैसला सुनाकर देश की जनता को आश्चर्य में डाल  दिया है। जी हाँ दोस्तों सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मोदी सरकार को पाक साफ़ बताते हुए कांग्रेस द्वारा केंद्र पर राफेल डील में भ्रष्टाचार किये जाने के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की राफेल डील एक अति संवेदनशील मामला है और इसकी कीमतों एवं तकनिकी जानकारी को सार्वजनिक करके देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। कांग्रेस इस मामले में सरकार को घेर कर उसकी छबि ख़राब करने की कोशिश कर  रही है जबकि कांग्रेस द्वारा लगाए गए इन आरोपों में तनिक भी सच्चाई नहीं है।

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इधर राफेल डील पर कांग्रेस को झटका लगने के बाद देश भर में राहुल गाँधी एवं कांग्रेस पार्टी की  आलोचना की जा रही है। राफेल मालमे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी राहुल ने अपने आरोपों को सही बताते हुए कहा है की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उन बिंदिओं पर छानबीन नहीं की जिनपर आपत्ति जताई गई थी।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता के साथ इन आरोपों से जुड़े कई तथ्यों एवं लूप होल्स पर बात की। राहुल के साथ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएसी ( लोक लेखा समिति) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे। खड़गे ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा की उनकी जानकारी में राफेल डील से जुड़े किसी भी प्रकार की सीएजी रिपोर्ट नहीं बनी। सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील से जुड़ा सीएजी रिपोर्ट संसद में पेश होने की जानकारी न होने की बात कहते हुए पीएसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ” मै लोक लेखा समिति के सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूँ की अटार्नी जर्नल और सीएजी को यह बात पूछने के लिए तलब करें कि राफेल डील पर सीएजी की रिपोर्ट संसद में कब पेश की गई। ”

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वरिष्ठ कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि सरकार को राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट के बारे में गलत तथ्य पेश कर उच्चतम न्यायलय को गुमराह करने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए। हम उच्चतम न्यायलय का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जांच एजेंसी नहीं है। सिर्फ जेपीसी ही राफेल डील मामले की जांच कर सकती है।

नेता प्रतिपक्ष के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बृजमोहन अग्रवाल को किया आगे।

छत्तीसगढ़ में हार के बाद अब नेता प्रतिपक्ष पर बीजेपी में मंथन, बृजमोहन अग्रवाल रेस में आगे

नमस्कार दोस्तों,

पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में छत्तीसगढ़ सही अन्य राज्यों में मिली करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अब  2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को पार्टी की तरफ से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष घोषित किया जा सकता है. हालांकि, यह बात भी सामने आ रहा है कि यह इस बात पर ज्यादा निर्भर करेगा कि कांग्रेस  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के तौर पर किसे चुनती है. माना जा रहा है कि नेता विपक्ष के नेता के तौर पर अभी से ही भाजपा में मंथन शुरू हो चूका है.

सरकार बनने से पहले ही कांग्रेस ने शुरू कि किसानों की कर्ज माफी की तैयारी.

ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि विपक्ष के नेता के लिए बीजेपी ओबीसी कार्ड आजमाएगी और ऐसी स्थिति में कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ही सबसे मजबूत दावेदारी रखते हैं. माना जा रहा है कि पूर्व सीएम रमन सिंह को विपक्ष का नेता नहीं बनाया जाएगा. बीजेपी मुख्यालय से ऐसी खबर आ रही है कि उन्हें देश की राजनीति में लाया जाएगा और 2019 के लिए पार्टी में उनकी अहम भूमिका होगी. 

आपको यह भी बता दें कि बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सिटी के साउथ से जीते हैं. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कन्हैया अग्रवाल को तकरीबन 17 हजार वोटों से हराया है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 65 सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को केवल 15 सीटें मिली हैं. छत्तीसगढ़ में पिछले 15 साल से रमन सरकार का शासन था. 

वहीँ गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने पर भले ही कोई भी बात नहीं कही, लेकिन उन्होंने तेलंगाना में हुए  महागठबंधन को पूरी तरह विफल बताया. तेलंगाना राष्ट्र समिति ने बहुमत हासिल कर लिया है. अब जब तेलंगाना में टीआरएस पार्टी की सरकार बननी तय  है तो दूसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस विपक्ष दल होगी.

सरकार बनने से पहले ही कांग्रेस ने शुरू कि किसानों की कर्ज माफी की तैयारी.

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नमस्कार दोस्तों,

रायपुर : छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सत्ता विहीन रहने के बाद, 15 वर्ष बाद मिले पूर्ण महूमत से कांग्रेस  पार्टी का आत्मविश्वास चरम पर है। पर यह जनता के लिए गर्व की बात है की जित की खुसी में कांग्रेस मोदी सरकार की तरह अपना वादा नहीं भूली। कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव से पूर्व छत्तीसगढ़ की जनता से यह वादा किया था की यदि उनकी सरकार बनती है तो वे सत्ता में आते ही सबसे पहले छत्तीसगढ़ के किसानों की क़र्ज़ माफ़ी के लिए कार्य करेंगे। 

जानकारी मिल रही है की छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत से जीत मिलने के बाद राज्य शासन के अधिकारियों ने किसानों की कर्ज माफी की तैयारियां शुरू कर दी हैं. राज्य सरकार के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार सहकारिता विभाग के उप सचिव श्री पीएस सर्पराज ने संचालक, संस्थागत वित्त संयोजक, राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी और प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक को एक पत्र लिखकर किसानों की ऋण माफी योजना को लागू करने के लिए सभी अहम जानकारी मांगी है.

 

पत्र में लिखा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपने जन घोषणा पत्र में सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई है. इस घोषणा की पूर्ति के लिए किसानों की ऋण माफी योजना तैयार किया जाना है. अधिकारियों से कहा गया है कि उनके अधीन कार्यरत बैंकों द्वारा किसानों को वितरित कृषि ऋण और बकाया राशि की पूरी जानकारी 30 नवंबर की स्थिति के अनुसार उपलब्ध करने की मांग की है। 

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राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपनी सरकार बनने पर किसानों का ऋण माफ किए जाने का वादा किया था. वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा. कांग्रेस ने इसके साथ ही धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल करने का भी वादा किया था। 

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 90 सीटों में से कांग्रेस ने 68 सीटों पर पूर्ण बहुमत से जीत हासिल की है जबकि भारतीय जनता पार्टी को केवल 15 सीटों पर जीत मिली है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को पांच सीटें तथा बहुजन समाज पार्टी को केवल दो ही सीटों पर जीत हासिल हुई है।  राज्य में 15 वर्षों के बाद कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आ रही है. 

जानिये कांग्रेस की उम्मीद और सबसे युवा नेता सचिन पायलट के बारे में।

Image result for sachin pilotनमस्कार दोस्तों,

लगातार मिल रही हार और गिरती लोकप्रियता से क्रैश लैंडिंग कर रहे कांग्रेस नुमा जहाज को गिरने से बचाने और सफलता की ऊंचाई पर एक नई उड़ान भरने के लिए तैयार करने वाले सचिन पायलट के लिए ऐसा कर पाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। लेकिन अपने शांत स्वाभाव के लिए जाने जाने वाले यह युवा नेता, पार्टी के अंदर चल रहे इन अंतर्विरोधों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

सचिन पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ और वे नोएडा के वैदपुरा गांव के निवासी हैं। पायलट को राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली है. उनके पिता राजेश पायलट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेहद करीबी नेता और एक केंद्रीय मंत्री थे, जबकि सचिन अब कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार राहुल गांधी के सबसे विश्वास पात्र हैं।

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आइये जानते हैं सचिन पायलट के जीवन से जुड़ी  कुछ निजी बातें और समझते हैं इस युवा के व्यक्तित्व को….

सचिन पायलट अपने काम में किसी भी प्रकार की देरी बिलकुल भी पसंद नहीं करते. नए विचारों को खुले मन से सुनने और समझने की क़ाबलियत रखने वाले कॉर्पोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष हैं सचिन पायलट। सचिन अगर कुछ करने की ठान लेते हैं तो उन्हें डिगाना बहोत ही कठिन कार्य हो जाता है।  केंद्र में पहली बार संचार राज्यमंत्री का कार्यभार संभालने वाले पायलट के सामने एक दिलचस्प वाकया सामने  आया जब वे अरुणाचल प्रदेश के तवांग दौरे पर थे. इस घटना ने उन्हें नौकरशाही के दावपेच से निकलकर लोगों से काम कराने का हुनर सीखा गया। 

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बात तब की है जब सचिन पायलट, सीमा सुरक्षा बल के जवानों को सैटेलाइट फोन बांटने गए थे. सैटेलाइट फोन लेते वक्त एक जवान ने उनसे  कहा, ”सर थैंक्यू वेरी मच. लेकिन यह हम लोगों को बहुत ही महंगा पड़ता है.” उस जवान ने बताया कि केवल एक मिनट बात करने के 50 रु. देने पड़ते हैं. यह सुनकर सचिन के मन में सवाल उठा कि दिल्ली में बैठकर आम लोग एक मिनट के लिए केवल चवन्नी देते हैं और 10,000 रु. महीने तनख्वाह पाने वाला सीमा पर तैनात जवान जो बर्फ में खड़े होकर गोलियां खा रहा है, उसे अपने घर बात करने के लिए 50 रु. प्रति मिनट देने पड़ रहे हैं जो की गलत है। 

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दिल्ली पहुंचकर पायलट ने अधिकारियों को इस दर में कटौती के आदेश दिए. लेकिन पायलट बताते हैं, ”अधिकारी फाइल को इधर-उधर घुमाते हुए नखरे दिखाने लगे तब मैंने फौरन तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम से मिलकर लिखित मंजूरी ले ली. फिर भी अधिकारी काम करके नहीं दे रहे थे. और आदतन काम को ताल रहे थे।”

यह पायलट की कोशिशों का ही नतीजा है की 50 रु. की कॉल दर 5 रु प्रति मिनट हो गई. वे कहते हैं, ”हमारे चार लाख अर्द्धसैनिक बलों के लोग हैं. इन सभी के लिए कॉल दर 1 अप्रैल, 2011 से 5 रु. प्रति मिनट कर दिए गए। 

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अक्सर कुर्ता-पायजामा और सर्दियों में हाफ जैकेट पहनने वाले 36 वर्षीय पायलट का नए आइडिया को लेकर बहुत स्पष्ट सोच है. उनका मानना है, ”योजना फेल होने के डर से पहल ही नहीं करना अच्छी बात नहीं है. सचिन की यही सोच उन्हें अब तक के राजनैतिक करियर में बेदाग रखे हुए है, जबकि संचार मंत्रालय में उन्होंने २जी घोटाले के आरोपी पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ बतौर राज्यमंत्री काम किया. हालांकि इस मसले पर पायलट कहते हैं, ”यह घोटाला मेरे पदभार के समय से पहले का है. इस मामले में अदालत अपना निर्णय करेगी, लेकिन हमारी सरकार ने कभी किसी आरोप पर कार्रवाई से संकोच नहीं किया.”

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सचिन विरासत की राजनीति पर कहते हैं, ”मैं नहीं समझता हूं कि बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है कि कौन किस कोख से पैदा हुआ है, फर्क इससे पड़ता है कि आप अपने राजनैतिक जीवन में किस तरह से काम करते हैं. कितना आप लोगों को साथ लेकर चल सकते हैं क्योंकि हर व्यक्ति किसी न किसी धर्म-जाति से बंधा हुआ है.”

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जमीनी नेता को किस तरह काम करना चाहिए, यह उन्होंने अपने पिता से सीखा है. पायलट कहते हैं, ”मेरे पिताजी कहा करते थे कि दिल्ली में सरकार ने हमें यह बंगला इसलिए दिया है कि यहां हम लोगों को बिठाकर बात कर सकें, उन्हें लगना चाहिए कि उनकी बात सुनने वाला कोई है.”

 

इस सीख को अपने राजनैतिक जीवन में पायलट ने भी साकार किया है. सुबह 7 बजे उठकर चाय की चुस्की के साथ अखबार पढऩा और 2-3 घंटे आम लोगों से मिलना उनका रुटीन है. समय मिलने पर कभी-कभार व्यायाम भी कर लेते हैं. खाने में राजमा-चावल उन्हें इस कदर पसंद है कि बचपन में वे कई बार लगातार हफ्ते भर तक इसे खाते थे. 

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धर्म में उनकी बहुत रुचि नहीं है. वे बताते हैं, ”मैं बहुत ज्यादा कर्मकांड में विश्वास नहीं करता. लेकिन मेरी मां होली-दीवाली भजन या पूजा कराती हैं तो मैं वहां चुपचाप जरूर बैठ जाता हूं.” लेकिन पायलट को फिल्म देखने का बहुत शौक है. हालांकि यहां भी वे जल्दबाजी नहीं दिखाते, बल्कि पहले हफ्ता-दस दिन इंतजार करते हैं और उस फिल्म की बहुत चर्चा होती है तो ही देखते हैं.

लेकिन उन्हें घर में बैठकर फिल्म देखना पसंद नहीं, बल्कि जब भी फिल्म देखने का मन हुआ पायलट किसी भी मॉल के सिनेमा हॉल में चले जाते हैं. कॉलेज के समय शूटिंग के अलावा बैडमिंटन, क्रिकेट, फुटबॉल के शौकीन पायलट ने 4-5 साल तक नेशनल स्तर पर शूटिंग में अवार्ड हासिल किए हैं. 

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन और अमेरिका के व्हार्टन स्कूल से एमबीए करने के बाद पायलट ने बीबीसी के दिल्ली ब्यूरो में काम किया. उसके बाद वे जनरल मोटर्स में भी दो साल नौकरी कर चुके हैं. लेकिन 6 सितंबर, 2012 को वे अपनी जिंदगी का महत्वपूर्ण क्षण मानते हैं जब 6-8 महीने की कड़ी मेहनत और परीक्षा के बाद उन्हें टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट का पद मिला.

26 साल की उम्र में सांसद बनकर देश के सबसे युवा सांसद का खिताब पा चुके पायलट उस दिन देश के पहले केंद्रीय मंत्री बन गए जो टेरीटोरियल आर्मी में नियमित रूप से जुड़े. वे इसे अपने पिता का सपना बताते हैं. हालांकि पिता के असामयिक देहांत का जख्म आज भी उनके जेहन में हरा है. पायलट कहते हैं, ”बहुत कठिन समय रहा परिवार के लिए. हमेशा जख्म हरे से रहते हैं.”

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पायलट का विवाह भी राजनैतिक सुर्खियों में रहा था. 2004 में उनकी शादी जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा से हुई. दोनों का मजहब अलग होने की वजह से स्वाभाविक दिक्कतें आईं, लेकिन उन्होंने इसे सहजता से पार किया. वे अपने इसी संबंध की वजह से जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-एनसी गठबंधन सरकार की धुरी बने.

अब तक अपनी राजनीतिक सोंच और समझ से तेज़ी से आगे बढ़ रहे पायलट की चुनौती राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से काफी बढ़ गई है. राहुल गांधी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभालने के बाद से युवा नेतृत्व पर फोकस किया है. सचिन उसी कड़ी के एक अहम् अंग माने जाते हैं. उनके मुताबिक, ”परिवर्तन सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक सोच में भी है कि पार्टी को एक नए सांचे में ढालना है. इसके चलते जमीनी स्तर पर लोगों को रि-कनेक्ट करना है ताकि पार्टी की सोच को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके और अधिक लोगों को पार्टी से जोड़ा जा सके।

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लेकिन यह बदलाव राजस्थान में कितना कारगर होगा? वसुंधरा सरकार के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में भीड़ का न जुटना और अब सरदारशहर सीट से कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ बोलना यह साबित करता है कि पायलट की राह आसान नहीं है. अब जब कांग्रेस राजस्थान में एक बार फिर सत्ता में आ रही है तो अब देखना यह है की सचिन पायलट, कांग्रेस को सही राजनैतिक उड़ान कैसे दे पाते है और इसकी जनता के बीच लैंडिंग किस प्रकार करते हैं। 

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नमश्कार दोस्तों,

दोस्तों, साल 2018 ने जाते-जाते भाजपा के अभिमानी उड़न खटोले से सारा ईंधन चूस लिया है। साल के आखिर में हुए पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव के परिणाम 11 दिसंबर को घोषित किये गए। परिणाम सामने आते ही बीजेपी प्रत्याशियों एवं पार्टी हाई कमान के चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़े हुए नज़र आये। चौतरफा मिली हार से चेहरे पे ऐसी मायूसी छाई जीसे प्रत्याशियों के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री तक नहीं छुपा पाए।

11 दिसंबर 2018 : विधानसभा चुनाव रिजल्ट की ताजा खबर

 

यह वक्त बीजेपी के लिए शोक करने का नहीं बल्कि आत्म मंथन करने का है। जिस पार्टी को देश की जनता ने साल 2014 में पूर्ण बहुमत से जिताया था और कांग्रेस को इतना भी वोट नहीं मिला था की वो विपक्ष के तौर पर भी खड़ा हो सके, उस पार्टी की विधान सभा चुनाव में ऐसी शिकस्त सोचनीय है।

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दोस्तों अगर बीजेपी के सत्ता में आने से लेकर अबतक के शासन काल पर और कार्यप्रणाली पर गौर किया जाए तो बीजेपी को अपनी हार की मुख्य वजह पता चल जायेगी। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप खुद ही मान जाएंगे की बीजेपी ने अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल कांग्रेस और राहुल को मज़बूत बनाने में लगा दी। साथ ही इस विधान-सभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी मेहनत कांग्रेस को जिताने में लगा दी।

आइये जानते हैं बीजेपी की हार के मुख्य कारण।

10 दिसंबर 2018 : आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने निजी कारणों का हवाला देकर दिया इस्तीफा

1 . चुनाव पूर्व किये वादों को जीत के बाद बताया जुमला। 

इस बात पर कोई शक नहीं की हमारे पीएम को कोई बातों में हरा नहीं सकता। नरेंद्र मोदी जी एक कुशल वक्ता हैं और अपनी मन-मोहनी बातों से वे देश की जनता का विश्वास जितने में पूर्ण रूप से सफल हुए थे। यही वजह है की 2014 के चुनाव में बीजेपी ने मोदी को बीजेपी का केंद्रबिंदु बनाकर अपने तारणहार के रूप में सबसे आगे रखा और बाकि सभी बड़े छोटे तज़ुर्बेकार मोदी जी के पीछे खड़े होकर सुहावने सपने देखने लगे।

मोदी जी ने अपने लुभावने वादों से जनता का दिल जीता और बीजेपी का सत्ता पाने का सुखद स्वप्न पूरा हो गया। पर सत्ता मिलते ही उसकी चमक से बीजेपी की आंखें चौंधिया गई और उसे जनता से किया हर वादा चुनावी जुमला लगने लगा।

एक कुशल वक्ता कामयाबी शायद हासिल कर भी ले पर कामयाबी पर काबिज़ रहने की काबलियत हाशिल करने के लिए एक अच्छा श्रोता होना बहोत ज़रूरी है।

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मोदी जी के वो वादे जो चुनाव के बाद जुमला बन गए .. … …

कालाधन वापिस लाने की बात को बताया चुनावी जुमला।

हर नागरिक को 15 लाख देने का लालच देकर चुनाव जीता फिर बताया चुनावी जुमला।

हर साल तीन करोड़ रोजगार देने का वादा 

सत्ता में आने के बाद जीएसटी लागु कर दो करोड़ लोगों का रोजगार छीन लिया और जब बेरोजगारों ने रोजगार की मांग की तो मोदी जी ने गैर ज़िम्मेदाराना बयान देते हुए देश के युवाओं को पकोड़े बेचने की सलाह दे डाली।

ईशा अम्बानी की प्री वेडिंग सेरेमनी में लगा सितारों का मेला।

अगर मोदी जी अपने वादों पर खरे उतरते तो कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी पड़ती जनता के दिल से मोदी और बीजेपी का विश्वास घटाने के लिए। पर यह काम बीजेपी और मोदी जी ने खुद ही अपने वादा खिलाफी और गलत बयानों से पूरा कर दिया।

2 . काम के नाम पर केवल योजनाओं का नाम परिवर्तन। 

इंद्रा आवास योजना को बदल कर किया प्रधानमंत्री अटल आवास योजना।

राजिव गांधी ग्रामीण विद्द्युत योजना का नाम बदलकर बदलकर किया दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति परियोजना। नगरों और सड़कों के भी बदले नाम .

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3. नई योजनाओं के नाम पर देश की जनता का उड़ाया मज़ाक। 

मुद्रा योजना।

यह योजना सिर्फ दस्तावेजों तक ही सिमित रही. नए व्यवसायी और बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार के लिए सहायता के नाम पर बिना ग्यारंटी के 10 लाख तक का लोन देने की बात करने वाली मोदी सरकार ने जरुरत मंदों को ग्यारंटी मांगकर भी 20000 से अधिक की राशि नहीं दी।

डीजिटल इंडिया।

देश की जनता के बिजली और पानी तक की मूलभूल जरूरतों की समस्या को अनदेखा कर पीएम मोदी ने डीजिटल इंडिया का सपना दिखाया जिसमे शहरी युवा अपना भविष्य देखने लगे जबकि मोदी जी यह भूल गए की देश की 70 प्रतिशत आबादी गाओं में रहती है और उन्हें डिजिटल बनने से पहले आत्मनिर्भर होने की जरुरत है। अपना परिवार पलने के लिए रोजगार की जरुरत है।

जिस दोस्त ने सोनिया तक पहुंचाया था राजीव गांधी का ‘लव लेटर’, वह भारत आने पर क्यों पकड़ा गया ?

कैशलेस भारत। 

जिस देश की अधिकतर छेत्र में बात करने तक के लिए नेटवर्क उपलब्ध नहीं है वहां केवल शहरों को ध्यान में रखते हुए मोदी जी ने आम जनता के हाथों छीन लिया और मोबाइल एवं अन्य डिजिटल तकनीक के माध्यम से लेनदेन करने की बात कह कर अशिक्षित और पिछड़े छेत्र के नागरिकों का जीना मुश्किल कर दिया।

शर्दियों की छुट्टियां मानाने के लिए जाएं इन पांच खूबसूरत जगह. होगी स्वर्ग की अनुभूति।

देश को डिजिटल बनाने का वादा कर सत्ता में आई बीजेपी सरकार ने अपने चार साल देश की जनता को जाती एवं धर्म के नाम पर लड़ाने में निकाल दिया। बीजेपी सरकार की सत्ता में आते ही देश के हिन्दुओं को और हिंदुत्व को न जाने कहाँ से खतरा होने लगा। नोट बंदी के नाम पर 126 लोगों की हत्या करने वाले मोदी जी ने इन मौतों की ज़िम्मेदारी लेना भी जरुरी नहीं समझा।

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यही वजह है की मोदी सरकार द्वारा बार बार की गई गलतियों का फायदा कांग्रेस को मिलता रहा और कांग्रेस ने इन मौकों को बखूबी भुनाया। आज यदि राहुल गाँधी एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में उभरे हैं तो इसका सारा श्रेय बीजेपी को जाता है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार ली अपनी हार. राहुल गाँधी को दी जीत की बधाई।

पीएम नरेंद्र मोदी (फोटोः ट्विटर)

नमस्कार दोस्तों,

बचे हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे जिनके आज परिणाम सामने आये है।  जिसमें 4 राज्यों में यह साफ़ हो चूका है की किसकी सरकार बन रही है।  छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने जा रही है जबकि मध्य प्रदेश का परिणाम अभी भी साफ़ नहीं हो पाया है की बहुमत किसे मिलेगी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी के बीच कांटे की टक्कर जारी है।  तेलंगाना में टीआरएस को प्रचंड बहुमत मिला है।  वहीं मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. इन चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था. ऐसे में विधान सभा चुनाव के परिणामों को मोदी सरकार की बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपनी हार स्वीकार कर ली है और जीतने वाली पार्टियों को बधाई दी है. वहीं वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है कि लोकसभा के चुनाव केंद्र सरकार की परफार्मेंस और नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के दम पर लाडे जाएंगे।

नरेंद्र मोदी ने दी कांग्रेस और अन्य विजेता पार्टियों को बधाई। 

कांग्रेस को जीत के लिए बधाई। तेलंगाना में प्रचंड बहुमत के लिए केसीआर को बधाई और मिजोरम में जीत के लिए एमएनएफ को बधाई: नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

पीएम मोदी ने बधाई देते हुए कहा कि ‘हम जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं. मैं सेवा का अवसर देने के लिए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की जनता का शुक्रिया अदा करता हूं. बीजेपी ने इन राज्यों में जनता के कल्याण के लिए अथक प्रयास किया.’ : नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

इस दौरान पीएम मोदी ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, ‘विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिवारों ने रात-दिन काम किया. मैं इनके कठिन परिश्रम को सैल्यूट करता हूं. जीत और हार जिंदगी का अभिन्न हिस्सा है. आज के नतीजे लोगों की सेवा करने और भारत के विकास के लिए कठिन परिश्रम करने के हमारे संकल्प को आगे बढ़ाएंगे.’

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम 2018 : कांग्रेस को वेलकम बीजेपी को बाय बाय।

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नमस्कार दोस्तों,

दोस्तों छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव के नतीजों के लिए आज वोटों की गिनती सुबह से जारी है. आज जैसे जैसे ईवीएम मशीन खुलते गए और वोटों की गिनती होने लगी वैसे वैसे कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों और समर्थकों के चेहरे पर खुसी का भाव उभरने लगा. वहीँ दूसरी और भाजपा के चेहरे पर मायुशि छाती दिखाई पड़ने लगी.

 

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम 2018

दोस्तों आज सुबह जैसे ही ईवीएम मशीने खुले और वोटों की गिनती शुरू हुई तो सुरुवाती 45 मिनटों में ही छत्तीसगढ़ की जनता ने यह साफ़ कर दिया की उनका रुख किस और है और वो क्या सोचती है। बढ़ते समय के साथ जहां एक और कांग्रेस के सीटों की संख्या बढ़ती गई वहीँ दूसरी और भारतीय जनता पार्टी का सफाया होते दिखाई दिया।

11 दिसंबर 2018 : विधानसभा चुनाव रिजल्ट की ताजा खबर

 

यह बीजेपी के लिए बहोत ही शर्मनाक हार शाबित हो रही है जिसकी कल्पना शायद बीजेपी ने सपने में भी नहीं की रही होगी। दोस्तो पिछले15 सालों से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार होने के बावजूद वे छत्तीसगढ़ की जनता का विश्वास नहीं जीत पाए यह सही मायनों में बड़े ही शर्म की बात है।

 

10 दिसंबर 2018 : आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने निजी कारणों का हवाला देकर दिया इस्तीफा

आइए देखते हैं की छत्तीसगढ़ में चुनावी आंकड़े क्या रहे. .. … …

CINC 68       BJP 16      CC(J) 4        BSP 2      CPI 0

तो दोस्तों ऊपर दिए गए आंकड़ों से आप यह अंदाज़ा लगा सकते हैं की कांग्रेस ने बहुमत हासिल करते हुए भाजपा को बुरी तरह से हरा दिया है। छत्तीसगढ़ की जनता ने इस बार कांग्रेस को पूर्ण बहुमत देते हुए बीजेपी के मुँह पर जोरदार तमाचा जड़ दिया है।

नेहा कक्कड़ और हिमांश कोहली के रिश्ते में आई दरार, क्या हो गए हैं एक-दूसरे से अलग?

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