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भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह, शाही डुबकी लगाने पहुंचे कुम्भ.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (फोटो-BJP)नमस्कार दोस्तों,

भारतीय जनता पार्टी के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह आज बुधवार को कुम्भ पहुंचे। प्रयागराज संगम पर चल रहे महाकुम्भ में एक के बाद एक लगातार बड़े राजनेताओं के डुबकी लगाने का सिलसिला जारी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित लगभग सभी कैबिनटे मंत्री के कुम्भ स्नान के बाद आज पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी कुम्भ पहुंचे और संगम पर डुबकी लगाई। अमित शाह की डुबकी के वक़्त योगी आदित्यनाथ सहित सभी बड़े नेता मौजूद थे। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह आज डुबकी लगाने के बाद सभी बड़े साधू संतों, अखाडा प्रमुख एवं पीठाधीशों से मुलाकात कर चर्चा करेंगे। मुलाकात के बाद वे संतों के साथ बैठकर कुम्भ में आयोजित भंडारे पर ही भोजन ग्रहण करेंगे।

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आपको बता दें की अध्यक्ष अमित शाह का आज कुम्भ पहुंचना इसलिए भी खास है क्योंकि इस वक़्त राजधानी लखनऊ में कांग्रेस की पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहले से ही डेरा जमाकर बैठी हैं।  प्रियंका इस वक़्त उत्तर प्रदेश में पार्टी की पकड़ मज़बूत करने में जुटी हैं। अमित शाह के कुम्भ दौरे के साथ ही सभी साधू संतों के द्वारा अयोध्या राम मंदिर पर कानून बनाने की मांग तेज़ हो गई है। ऐसे वक़्त में अमित शाह का कुम्भ दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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आज समय शाह अपने कुम्भ दौरे के दौरान सरस्वती कूप और हनुमान मंदिर के दर्शन कर पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद अमित शाह जूना अखाड़े के पीठाधीश अवधेशानंद के शिविर पहुंचकर साधुसंतों से मुलाकात करेंगे और यहीं पर वे दोपहर का भोजन भी ग्रहण करेंगे। इसके बाद दोपहर के ढाई बजे शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती से भी मुलाकात करेंगे। 3 बजे जूना अखाड़ा और फिर इसी क्रम में निरन्जीनि, निर्मोही और फिर बड़ा उदासीन अखाड़ा भी जाएंगे। शाम के साढ़े चार बजे अध्यक्ष अमित शाह मौज़ गिरी आश्रम में 151 फ़ीट ऊँचे त्रिशूल का उद्घाटन करेंगे।

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तस्वीर में आप देख सकते हैं की किस प्रकार अमित शाह किसी सिद्ध संत और किसी अखाड़े के प्रमुख की भांति सबसे आगे बैठे हैं और माथे पर त्रिकुंड लगाकर पूजा कर रहे हैं। उनके आस पास कुछ साधू संत हाथ जोड़कर खड़े हैं।

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मोदी को मिली बड़ी कामयाबी, देश की संपत्ति विदेश में फूंक कर विजय माल्या लौटेगा भारत।

Image result for vijay mallya ka pratyarpanनमस्कार दोस्तों,

 दोस्तों देश का  9000 करोड़ रूपया लेकर फरार होने वाला विजय माल्या के लिए अब लूट के पैसों से  रहीसों वाली जिंदगी जी पाना मुश्किल होने जा रहा है। बैंकों से करोड़ों रुपये का कर्ज लेकर रफूचक्कर होने वाले विजय माल्या के प्रत्यर्पण का रास्ता अब साफ़ हो चूका है। यूके की सरकार ने विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण की मांग स्वीकार कर ली है और माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। प्रत्यर्पण से पहले विजय माल्या को अपना बचाव पक्ष तैयार करने एवं अपील करने के लिए 14 दिनों की मोहलत दी गई है।
आपको बता दें की भारतीय बैंकों से करोड़ों रुपये का लोन लेकर धोखाधड़ी करने के आरोप में विजय माल्या के खिलाफ जांच चल रही थी। जांच के बीच में से ही वे मार्च 2016 में लन्दन भाग गए थे। विजय माल्या को भारत वापस लाने के लिए केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों ने काफी मेहनत और इंतज़ार किया। विजय माल्या के मामले में भारत को उस वक़्त बड़ी सफलता मिली जब दिसंबर 2018 में लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने माल्या को भारत वापिस भेजने का फैसला सुनाया। इस फैसले के साथ ही प्रत्यर्पण से सम्बंधित आदेश की फाइल होम सेक्रेटरी को सौंप दी गई थी। अब होम सेक्रेटरी ऑफिस ने भी विजय माल्या के प्रत्यर्पण सम्बंधित फाइल पर दस्तखत कर दिए हैं।
विजय माल्या पर बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप है। विजय माल्या पर आरोप है की उन्होंने बैंकों के पास लोन सम्बंधित गलत दस्तावेज़ प्रस्तुत कर 9000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। भारत की जांच एजेंसीयां सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर रही है। आपको बता दें की विजय माल्या एक शराब कारोबारी थे और एयरलाइन्स के बिज़नेस पर भी उन्होंने कदम रखा था। माल्या के देश छोड़ने के बाद से अब तक माल्या की कई नामी और बेनामी संपत्ति जब्त की जा चुकी है जिसकी कुल अनुमानित लागत 13000 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
विजय माल्या ने अपने एक ट्वीट में कहा की हर सुबह जब मई न्यूज़ पढता हूँ तो यह जानकारी मिलती है की लोन वसूली अधिकारी ने मेरी एक और संपत्ति जब्त कर ली है। अब तक जब्त की गई संपत्ति की अनुमानित कीमत 13000 करोड़ है जबकि बैंकों मेरी देनदारी केवल 9000 करोड़ रुपये है जोकि अभी समीक्षा का विषय है।
दोस्तों, मैंने आपको इतनी अच्छी खबर दी है तो प्लीज मुझे फॉलो करना न भूलें. धन्यवाद्।

2019 लोकसभा चुनाव : जानिये किसकी बनेगी सरकार।

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नमस्कार दोस्तों,

दोस्तों, 2019 में देश के राजनीतिज्ञों की बोर्ड परीक्षा है। बस कुछ ही महीने शेष रह गए हैं लोकसभा चुनाव के लिए। 2014 में मिले पूर्ण बहुमत की जीत से भारतीय जनता पार्टी का आत्मविश्वास भले ही सातवें आसमान पर प्रतीत हो रही है पर देश की जनता का मूड़ बदलते देर नहीं लगती। अपने अति आत्मविश्वास के चलते तीन राज्यों में अपनी सत्ता गवां चुकी भारतीय जनता पार्टी अब अपना हर कदम काफी सोच समझकर उठा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने आने वाले लोकसभा चुनाव की तयारी के लिए अपनी कमर कस ली है।

सिम्बा मूवी रिव्यू : जानिये फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने वाले दर्शकों की राय।

भारतीय जनता पार्टी ने ‘नेशन विद नमो’ और ‘पहला वोट मोदी के नाम’ इन दो अभियानो के जरिये युवाओं एवं पहली बार अपने वोट डालने वाले किशोरों पर निशाना साधने की पूरी तैयारी कर ली है। भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा की भाजपा मंत्र सबका साथ सबका विकास है और हम इसी अजेंडे के साथ आगे बढ़ते हुए देश के युवाओं, गरीबों, महिलाओं, दलितों और सैनिकों सभी के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाते हुए देश की जनता से देश के विकास के लिए एकबार फिर से मोदी जी और भारतीय जनता पार्टी को को पूर्ण बहुमत देने की अपील करेंगे।

2019 विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनितिक दलों में मची सियासी हलचल के बीच महागठबंधन पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा का विवादित बयान भी सामने आया है। संबित पात्रा जी का कहना है की विपक्ष महागठबंधन से देश को तोड़ने की साजिश कर रही है। संबित पात्रा अपने इस विवाद में एक कदम और आगे बढ़ते हुए यह तक कह रहे हैं की इस महागठबंधन में विपक्ष के साथ पकिस्तान भी लिप्त है। वहीँ संबित पात्रा के इस बयान को विपक्ष ने बीजेपी को तीन राज्यों में मिली हार का साइड इफ़ेक्ट बताया है।

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आइये जानते हैं किन मुद्दों पर टिकी होगी 2019 लोकसभा चुनाव की जीत। 

1 . अयोध्या राम मंदिर 

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भारतीय जनता पार्टी अपने शासन के लगभग पुरे कार्यकाल में सबसे अधिक जोर अगर किसी मुद्दे पर दिया है तो वह है हिंदुत्व और अयोध्या राम मंदिर। भाजपा का मंदिर हम ही बनाएंगे के नारे से पूरा हिन्दू समाज भाजपा की और झुक सा गया था अब बीजेपी का यही नारा उसके लिए 2019 लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। अभी तक अयोध्या राम मंदिर पर कुछ भी एकपक्षीय फैसला नहीं आ पाया है और फैसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अब देखना यह है की बीजेपी वोट की राजनीति के लिए कोर्ट के खिलाफ जाकर राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाती है या कोर्ट के फैसले पर चलकर जनता की नज़रों में झूठा साबित होती है।

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2. दलित और मुस्लिम वोट बैंक 

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मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने के बाद से अपने फैसलों और बयानों से लगातार दलित और मुश्लिम समाज को आहत किया है। ऐसे में देखना यह होगा की बीजेपी इन दलित और मुश्लिम अल्पसंख्यकों की नाराज़गी कैसे दूर करते हैं और किस प्रकार एक बड़ा वोट बैंक अपने हाथों से छीनने से बचा पाते हैं।

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3. रोजगार 

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साल 2014 में मोदी सरकार यदि सत्ता में आ पाई तो इसका पूरा श्रेय देश की युवा पीढ़ी को जाता है जो की मोदी जी के द्वारा दिखाए गए डिजिटल इंडिया के सपनों में अपना भविष्य देखकर उनके झांसे में आ गए और उन्हें वोट दे बैठे। पर सत्ता में आने के बाद मोदी जी ने सबसे बड़ा मजाक और विश्वासघात इस देश की बेरोजगार युवा पीढ़ी के साथ किया है। रोजगार के नाम पर पकोड़े बेचने की सलाह देने वाले मोदी जी को देश की युवा माफ़ या नहीं यह भी 2019 के लोकसभा चुनाव से ही पता चलेगा। यह आश्चर्य की बात है की सत्ता के कार्यकाल की समाप्ति का वक्त निकट आने के बाद भी मोदी जी ने देश के युवाओं के हित में अब तक कोई भी योजना नहीं बनाई और न ही रोजगार की व्यवस्था की।

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4 . राफेल डील

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देश की सेना का शक्ति वर्धन करने के लिए केंद्र द्वारा किये गए राफेल विमान सौदे में गड़बड़ी की बात कहते हुए सभी विपक्षी दलों सहित कांग्रेस ने मोदी सरकार पर एक बड़े भ्रस्टाचार में लिप्त होने और देश की जनता के पैसों एवं सैनिकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का बड़ा आरोप लगाया है। हलाकि सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी है पर खुद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कुछ बिंदुओं पर संसोधन की मांग करके शक की सुई एकबार फिर अपनी और घुमा ली है। अब देखते हैं की कांग्रेस इस मुद्दे को और कितना भुना पाती है।

बॉक्स ऑफिस पर फिल्म “zero” को दर्शकों ने दिया जीरो “0” मार्क्स।

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राफेल डील पर मोदी ने सुप्रीम कोर्ट से बोला झूठ, पकड़े जाने पर कहा सुप्रीम कोर्ट की समझ में गलती।



नमस्कार दोस्तों,
दोस्तों, जैसा की आप सब जानते है कि राफेल डील मामले में मोदी सरकार को विपक्षी दल ने घेर रखा है और इस मुद्दे की वजह से भारतीय जनता पार्टी जनता के बीच अपना भरोसा भी खोटी जा रही है। इस मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनते हुए भारतीय जनता पार्टी को क्लीन चीट देदी और इसी के साथ सभी भाजपा समर्थक कांग्रेस पर टूट पड़े। पर बीजेपी की यह खुसी ज्यासा समय तक नहीं ठीक पाई क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जिस सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुवे केंद्र सरकार को क्लीन चीट  दी थी असल में मोदी सरकार ने वह झूठी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी। पीएसी के अध्यक्ष ने इस बात से साफ़ इंकार कर दिया और कहा की उनकी जानकारी में राफेल डील से सम्बंधित कोई रिपोर्ट बना ही नहीं। 

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अब इस मामले में झूठ पकडे जाने पर  मोदी सरकार ने बचाव में अपनी सफाई पेश करते हुए कहा है कि हमने कोर्ट को कोई झूठा रिपोर्ट नहीं दिया बल्कि हमारी दलील को कोर्ट ने ही गलत समझा.
मोदी सरकार ने शनिवार को राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के आये फैसले के एक पैराग्राफ में संसोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (पीएसी ) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (सीएजी ) के रिपोर्ट का जिक्र किया गया है. मोदी सरकार ने कहा है कि कोर्ट द्वारा जांच रिपोर्ट की अलग अलग व्याख्या किये जाने की वजह से विवाद उत्पन्न हो गया है। 

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केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ  क्रमांक 25 के दो वाक्यों पर कहा है कि यह शायद  उस नोट पर आधारित है जिसे केंद्र ने मुहरबंद लिफाफे में मूल्य विवरण के साथ जमा किया था लेकिन अदालत द्वारा इस्तेमाल किये गए शब्द से विपक्ष द्वारा इसका अलग मतलब निकाला जा रहा है.
केंद्र ने इस वाक्य का मतलब साफ करते हुए कहा कि वह यह नहीं कह रहा कि पीएसी रिपोर्ट का सीएजी  ने जांच किया था या संपादित हिस्से को संसद के समक्ष विमर्श के लिए रखा गया .  केंद्र ने इस नोट पर हुई गलत फहमी को स्पष्ट करते हुए कहा किया कि नोट में कहा गया है कि सरकार पीएसी  के साथ मूल्य विवरण को पूर्व में साझा कर चुकी है. यह वाक्य भूतकाल में लिखा गया है और यह तथ्यों के साथ पूर्ण रूप से सही है। 

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केंद्र द्वारा पेश की गई याचिका में कहा गया है कि उक्त नोट मोटे अक्षरों में लिखा गया है . जिसमे यह कहा गया है कि सरकार मूल्य विवरणों पर पीएसी के साथ विमर्श कर चुकी है. पीएसी की रिपोर्ट का  सीएजी परीक्षण कर रही है .रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के संज्ञान में है और यह देश के सामने है. इस याचिका के मुताबिक शब्द ‘हैज बीन (हो चुका है)’ भूतकाल के लिए इस्तेमाल हुआ है जिसमे लिखा है कि सरकार कैग के साथ मूल्य विवरण को पहले ही साझा कर चुकी है. यह भूतकाल में है और सही है। इस वाक्य के दूसरे हिस्से में सीएजी  के संबंध में कहा गया है कि कैग की रिपोर्ट का पीएसी परीक्षण कर रही है . फैसले में ‘इज’ की जगह ‘हैज बीन’ का इस्तेमाल हुआ है.
केंद्र ने शीर्ष अदालत के आदेश में आवश्यक संशोधन की मांग करते हुए कहा कि इसी तरह फैसले में यह कथन है कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया. इस बारे में कहा गया कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया और यह सार्वजनिक है.

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याचिका के मुताबिक, नोट में केंद्र ने यह कहा गया है कि पीएसी रिपोर्ट का सीएजी परीक्षण कर रही है. यह प्रक्रिया की व्याख्या है जो आम तौर पर उपयोग में लायी जाती है।  पर फैसले में अंग्रेजी में ‘‘इज’’ यानि ‘‘है’’ की जगह ‘‘हैज बीन’’ अर्थात ‘‘कर चुकी है’’ का इस्तेमाल किया गया है। 


केंद्र सरकार ने ऐसे वक्त पर यह याचिका दायर की है जब विपक्षी कांग्रेस और अन्य ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं और सरकार पर सीएजी रिपोर्ट को लेकर शीर्ष न्यायालय को गुमराह किये जाने का आरोप लगाया गया है।
मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए  सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र के हक़ में फैसला सुनाते हुए कहा राफेल लड़ाकू विमान के सौदे की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और इस लेन देन किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं पायी गई जिसपर सवाल उठाये जा सकें। न्यायलय इस सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया से ‘‘संतुष्ट’’ है. शीर्ष अदालत ने विपक्ष द्वारा किये गए जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा की यह देश की सुरक्षा का मामला है और इस मामले पर और विवाद की कोई गुंजाईश नहीं रहनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस फैसले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। 

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सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसे फ्रांस से 36 विमान खरीदने के ‘‘संवेदनशील मुद्दे’’ में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं लगता. बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने राफेल सौदे के मामले में केंद्र की मोदी सरकार पर  आरोप लगाते हुए कहा है की केंद्र ने अपने झूठ बोलने की प्रवित्ति से सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बख्सा है। विपक्षी दलों का केंद्र पर आरोप है की केंद्र ने अपनी झूठ नीति से सुप्रीम कोर्ट और संसद को गुमराह किया है।  आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर अटॉर्नी जनरल को संसद में बुलाए जाने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल मामले में सरकार ने संसद और सुप्रीम कोर्ट दोनों को भी गुमराह किया किया है। 

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खड़गे ने कहा- सरकार ने कोर्ट में सही तथ्य पेश नहीं किए


सर्वोच्च न्यायालय की ओर से राफेल मामले में फैसला सुनाये जाने के एक दिन बाद, लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खड़गे ने शनिवार को कहा कि वह महा न्यायवादी और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को इस मामले की जांच के लिए दबाव बनाएंगे और उनसे पूछेंगे कि कब सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई और कब पीएसी ने उसकी जांच की।  कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बुलाये गए मीडिया कॉन्फ्रेंस में खड़गे ने यहां मीडिया से कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष झूठे दस्तावेज पेश कर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने वहां दिखाया कि पीएसी रिपोर्ट पेश की गई है और सीएजी ने उसकी जांच की है.’ खड़गे ने कहा, ‘सरकार ने अदालत में यह झूठ बोला कि सीएजी रिपोर्ट को सदन और पीएसी में पेश किया गया है. उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि पीएसी ने इसकी जांच की है. उन्होंने यह भी दावा किया कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक है. अब केंद्र को बताना होगा की यह कहां है? क्या आपने इसे देखा है? मैं पीएसी के अन्य सदस्यों के समक्ष इस मामले को ले जाने वाला हूं.’

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कोर्ट ने खारिज कर दी थी जांच संबंधी याचिका
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राफेल सौदे की अदालत की निगरानी में जांच कराने के लिए विपक्ष द्वारा की गई याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने कहा था कि विमान की कीमत सीएजी के साथ साझा की गई और सीएजी की रिपोर्ट की जांच पीएसी ने की. अब इस रिपोर्ट का केवल संपादित भाग ही संसद के समक्ष पेश किया गया है और यह सार्वजनिक है.’
कोर्ट को गुमराह करने के लिए सरकार मांगे माफी

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सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय को ‘गुमराह’ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सरकार को इसके लिए सर्वोच्च न्यायलय और देश की जनता से माफी मांगने को कहा है।  उन्होंने कहा, ‘ रिपोर्ट को कभी भी संसद में पेश नहीं किया गया है. केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में गलत सूचना पेश की है।  सर्वोच्च न्यायालय में सीएजी रिपोर्ट पर गलत तथ्य पेश कर अदालत को गुमराह करने के लिए नरेंद्र मोदी को माफी मांगनी चाहिए.’
खड़गे ने यह भी कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय का आदर करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट कोई जांच एजेंसी नहीं है और केवल संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) राफेल मामले में कथित भ्रष्टाचार की जांच कर सकती है.

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क्या बोले संजय सिंह?
संजय सिंह ने कहा कि जब सीएजी की कोई जांच रिपोर्ट आई ही नहीं तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कैसे कहा कि ऐसी कोई जांच रिपोर्ट है. सरकार के अटॉर्नी जनरल ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सील बंद लिफाफे में जो कुछ भी दिया गया वह उन्होंने नहीं पढ़ा है तो अब उन्होंने करेक्शन का हलफनामा कैसे दिया? उन्हें वह सीलबंद रिपोर्ट कहां से मिली?
आप सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में जिक्र है कि एयरफोर्स प्रमुख ने कीमतों के खुलासे पर आपत्ति की थी. एयरफोर्स चीफ ने यह बयान कब दिया या ऐसा कोई एफिडेविट कब दिया था? नए एफिडेविट में भी सरकार कह रही है कि सीएजी को कीमतों के बारे में जानकारी दे दी गई है लेकिन सीएजी की रिपोर्ट तो जनवरी के बाद आएगी.

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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हलफनामे के मुताबिक यह माना कि सीएजी और पीएसी कीमतों को लेकर पहले ही जांच कर रही है. शायद इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने राफेल घोटाले में जांच के आदेश नहीं दिए. अगर कोर्ट को यह पता होता कि ऐसी कोई जांच नहीं हुई है तो शायद इस मामले में जांच के आदेश दिए जाते.
सिब्बल बोले – केंद्र ने बोला झूठ

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राफेल पर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस  कर कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने राफेल के मामले में जो    जो जानकारी दी है उसके सही होने पर संदेह उत्पन्न हो रहा है। इसलिए इस स्थिति को साफ़ करने के लिए यह जरुरी हो जाता है कि पीएसी (लोक लेखा समिति) में अटॉर्नी जनरल को बुलाया जाना चाहिए, जिससे यह साफ हो सके कि कोर्ट में गलत दस्तावेज क्यों जमा कराए गए, जिसका की कभी कोई जिक्र भी नहीं किया गया। यह बेहद संवेदनशील मामला है, जिस पर संसद  में चर्चा किया जाना बेहद जरुरी है। 


कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि कांग्रेस इस मामले में हमेशा स्पष्ट रही है कि इस मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट सही जगह नहीं है, यहां पर हर तरह की फाइल का खुलासा नहीं किया जा सकता. यह सर्वोच्च न्यायलय के अधिकारछेत्र में भी नहीं आता। . उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले में प्रेस रिपोर्ट और सरकार के हलफनामे का जिक्र किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट के न्यायाधिकार के कारण वो  इस मामले का फैसला नहीं कर सकते। 

छत्तीसगढ़ : कौन बनेगा मुख्यमंत्री।

Image result for chattisgarh ke naye mukhyamantri ke liye congress pratyashiनमस्कार दोस्तों,

दोस्तों जैसा की हम सभी जानते हैं की साल के अंत में हुए पांच राज्यों  के विधान सभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और इस परिणाम ने भाजपा के कमल को पूरी तरह  से मुरझा दिया है। पांच राज्यों में से तीन में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। कांग्रेस ने भाजपा को छत्तीसगढ़ और राजस्थान में धूल चटा दिया जबकि मध्यप्रदेश में मुकाबला कांटे का रहा। फिर भी इन तीनों राज्यों में कांग्रेस ने अपना बहुमत साबित कर किया है और अब यहां कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।

राहुल की राफेल का टूट गया कनेक्शन, हो रही क्रैश लैंडिंग।

 

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यह पहली बार हुआ है की जिस पार्टी ने बहुमत हासिल की उसने अभी तक अपना मुख्यमंत्री का चेहरा ही तय नहीं किया है। सायद इस  जीत की उम्मीद कांग्रेस को भी नहीं थी यही वजह है की छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है की छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद के लिए किसे चुना जाए। विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा हुए आज चार दिन बीत चुके हैं पर अभी भी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कांग्रेस असमंजस की स्थिति में है।

सरकार ने की कपल्स से अपील, देर मत करो बच्चे पैदा करो।

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पार्टी प्रवक्ताओं और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों ने इस फैसले को कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो राहुल गांधी पर छोड़ दिया है। छत्तीसगढ़ में शनिवार याने की आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। ऐसा कहा जा रहा है की यह बैठक मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने के लिए बुलाई गई है और आज शाम पांच बजे रखी गई इस बैठक के बाद ही उस नाम को भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा की वह कौन शख्स है जो अगले पांच साल तक छत्तीसगढ़  की दशा और दिशा तय करेगा। आइये जानते हैं की कौन कौन है कांग्रेस की और से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार… … …

जानिए बॉलीवुड की पांच सबसे खूबसूरत पर नाकाम एक्ट्रेसेस के बारे में। नं 1 है सबसे खूबसूरत

1 . भूपेश बघेल 

भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सबसे चर्चित  चेहरे हैं और मुख्यमंत्री पद के सबसे दमदार दावेदार भी। पिछले 15 सालों से छत्तीसगढ़ में सूखे की मार झेल रही कांग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में मिली इस पूर्ण बहुमत के साथ अविस्वसनीय जीत का सारा श्रेय भूपेश बघेल को ही जाता है। वर्तमान में भूपेश बघेल पाटन सीट से विधायक है। हलाकि एक चर्चित सीडी काण्ड ने उनकी छबि को काफी धूमिल किया है पर अभी भी वे सीएम की रेस में सबसे  आगे हैं।

2. ताम्रध्वज साहू

ताम्रध्वज साहू जी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के चर्चित पुराने चेहरों में से एक है। दुर्ग जिले से विधायक ताम्रध्वज साहू भी छत्तीसगढ़ में सीएम पद के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं।

3. चरणदास महंत 

चरणदास महंत सत्ती विधानसभा सीट से विधायक हैं और छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी रखते हैं।

4. त्रिभुनेश्वर शरण सिंहदेव 

मौजूदा विधानसभा चुनाव में विपक्ष के नेता है त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव। इन्हे टी एस बाबा के नाम से भी जाना जाता है। सरगुजा के राजपरिवार से सम्बन्ध रखते हैं।

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आज शाम 5 बजे होने वाली कांग्रेस की बैठक पर सभी की नज़र टिकी हुई है। अब देखना यह है की इस मीटिंग में किसके नाम पर मुहर लगती है और कौन बनते है छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री।

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राहुल की राफेल का टूट गया कनेक्शन, हो रही क्रैश लैंडिंग।

नमस्कार दोस्तों,

दोस्तों, भारतीय वायु सेना को मजबूत बनाने के लिए मोदी सरकार ने जो राफेल डील की  उसी राफेल डील को कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। भारतीय वायु सेना की मज़बूती के लिए किया गए इस समझौते ने सेना से पहले कांग्रेस को मज़बूती दे दी। इस राफेल डील को सबसे बड़ा भ्रस्टाचार बताकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मोदी सरकार को जमकर घेरा। इस एक मुद्दे ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार नीव हिला दी और देश की जनता के दिलों में मोदी की नीतियों एवं कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। यह एक मुद्दा भारतीय जनता पार्टी की सबसे कमजोर कड़ी साबित हुई और भाजपा को देश की जनता ने इस विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद चखाया।

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पर अब जब विधान सभा चुनाव संपन्न हो चूका है और कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में कामयाब हो चुकी है ऐसे में देश के सर्वोच्च न्यायलय ने इस मामले में अपना फैसला सुनाकर देश की जनता को आश्चर्य में डाल  दिया है। जी हाँ दोस्तों सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मोदी सरकार को पाक साफ़ बताते हुए कांग्रेस द्वारा केंद्र पर राफेल डील में भ्रष्टाचार किये जाने के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की राफेल डील एक अति संवेदनशील मामला है और इसकी कीमतों एवं तकनिकी जानकारी को सार्वजनिक करके देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। कांग्रेस इस मामले में सरकार को घेर कर उसकी छबि ख़राब करने की कोशिश कर  रही है जबकि कांग्रेस द्वारा लगाए गए इन आरोपों में तनिक भी सच्चाई नहीं है।

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इधर राफेल डील पर कांग्रेस को झटका लगने के बाद देश भर में राहुल गाँधी एवं कांग्रेस पार्टी की  आलोचना की जा रही है। राफेल मालमे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी राहुल ने अपने आरोपों को सही बताते हुए कहा है की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उन बिंदिओं पर छानबीन नहीं की जिनपर आपत्ति जताई गई थी।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता के साथ इन आरोपों से जुड़े कई तथ्यों एवं लूप होल्स पर बात की। राहुल के साथ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएसी ( लोक लेखा समिति) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे। खड़गे ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा की उनकी जानकारी में राफेल डील से जुड़े किसी भी प्रकार की सीएजी रिपोर्ट नहीं बनी। सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील से जुड़ा सीएजी रिपोर्ट संसद में पेश होने की जानकारी न होने की बात कहते हुए पीएसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ” मै लोक लेखा समिति के सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूँ की अटार्नी जर्नल और सीएजी को यह बात पूछने के लिए तलब करें कि राफेल डील पर सीएजी की रिपोर्ट संसद में कब पेश की गई। ”

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वरिष्ठ कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि सरकार को राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट के बारे में गलत तथ्य पेश कर उच्चतम न्यायलय को गुमराह करने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए। हम उच्चतम न्यायलय का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जांच एजेंसी नहीं है। सिर्फ जेपीसी ही राफेल डील मामले की जांच कर सकती है।

नेता प्रतिपक्ष के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बृजमोहन अग्रवाल को किया आगे।

छत्तीसगढ़ में हार के बाद अब नेता प्रतिपक्ष पर बीजेपी में मंथन, बृजमोहन अग्रवाल रेस में आगे

नमस्कार दोस्तों,

पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में छत्तीसगढ़ सही अन्य राज्यों में मिली करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अब  2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को पार्टी की तरफ से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष घोषित किया जा सकता है. हालांकि, यह बात भी सामने आ रहा है कि यह इस बात पर ज्यादा निर्भर करेगा कि कांग्रेस  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के तौर पर किसे चुनती है. माना जा रहा है कि नेता विपक्ष के नेता के तौर पर अभी से ही भाजपा में मंथन शुरू हो चूका है.

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ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि विपक्ष के नेता के लिए बीजेपी ओबीसी कार्ड आजमाएगी और ऐसी स्थिति में कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ही सबसे मजबूत दावेदारी रखते हैं. माना जा रहा है कि पूर्व सीएम रमन सिंह को विपक्ष का नेता नहीं बनाया जाएगा. बीजेपी मुख्यालय से ऐसी खबर आ रही है कि उन्हें देश की राजनीति में लाया जाएगा और 2019 के लिए पार्टी में उनकी अहम भूमिका होगी. 

आपको यह भी बता दें कि बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सिटी के साउथ से जीते हैं. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कन्हैया अग्रवाल को तकरीबन 17 हजार वोटों से हराया है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 65 सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को केवल 15 सीटें मिली हैं. छत्तीसगढ़ में पिछले 15 साल से रमन सरकार का शासन था. 

वहीँ गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने पर भले ही कोई भी बात नहीं कही, लेकिन उन्होंने तेलंगाना में हुए  महागठबंधन को पूरी तरह विफल बताया. तेलंगाना राष्ट्र समिति ने बहुमत हासिल कर लिया है. अब जब तेलंगाना में टीआरएस पार्टी की सरकार बननी तय  है तो दूसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस विपक्ष दल होगी.

जानिये कांग्रेस की उम्मीद और सबसे युवा नेता सचिन पायलट के बारे में।

Image result for sachin pilotनमस्कार दोस्तों,

लगातार मिल रही हार और गिरती लोकप्रियता से क्रैश लैंडिंग कर रहे कांग्रेस नुमा जहाज को गिरने से बचाने और सफलता की ऊंचाई पर एक नई उड़ान भरने के लिए तैयार करने वाले सचिन पायलट के लिए ऐसा कर पाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। लेकिन अपने शांत स्वाभाव के लिए जाने जाने वाले यह युवा नेता, पार्टी के अंदर चल रहे इन अंतर्विरोधों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

सचिन पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ और वे नोएडा के वैदपुरा गांव के निवासी हैं। पायलट को राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली है. उनके पिता राजेश पायलट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेहद करीबी नेता और एक केंद्रीय मंत्री थे, जबकि सचिन अब कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार राहुल गांधी के सबसे विश्वास पात्र हैं।

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आइये जानते हैं सचिन पायलट के जीवन से जुड़ी  कुछ निजी बातें और समझते हैं इस युवा के व्यक्तित्व को….

सचिन पायलट अपने काम में किसी भी प्रकार की देरी बिलकुल भी पसंद नहीं करते. नए विचारों को खुले मन से सुनने और समझने की क़ाबलियत रखने वाले कॉर्पोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष हैं सचिन पायलट। सचिन अगर कुछ करने की ठान लेते हैं तो उन्हें डिगाना बहोत ही कठिन कार्य हो जाता है।  केंद्र में पहली बार संचार राज्यमंत्री का कार्यभार संभालने वाले पायलट के सामने एक दिलचस्प वाकया सामने  आया जब वे अरुणाचल प्रदेश के तवांग दौरे पर थे. इस घटना ने उन्हें नौकरशाही के दावपेच से निकलकर लोगों से काम कराने का हुनर सीखा गया। 

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बात तब की है जब सचिन पायलट, सीमा सुरक्षा बल के जवानों को सैटेलाइट फोन बांटने गए थे. सैटेलाइट फोन लेते वक्त एक जवान ने उनसे  कहा, ”सर थैंक्यू वेरी मच. लेकिन यह हम लोगों को बहुत ही महंगा पड़ता है.” उस जवान ने बताया कि केवल एक मिनट बात करने के 50 रु. देने पड़ते हैं. यह सुनकर सचिन के मन में सवाल उठा कि दिल्ली में बैठकर आम लोग एक मिनट के लिए केवल चवन्नी देते हैं और 10,000 रु. महीने तनख्वाह पाने वाला सीमा पर तैनात जवान जो बर्फ में खड़े होकर गोलियां खा रहा है, उसे अपने घर बात करने के लिए 50 रु. प्रति मिनट देने पड़ रहे हैं जो की गलत है। 

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दिल्ली पहुंचकर पायलट ने अधिकारियों को इस दर में कटौती के आदेश दिए. लेकिन पायलट बताते हैं, ”अधिकारी फाइल को इधर-उधर घुमाते हुए नखरे दिखाने लगे तब मैंने फौरन तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम से मिलकर लिखित मंजूरी ले ली. फिर भी अधिकारी काम करके नहीं दे रहे थे. और आदतन काम को ताल रहे थे।”

यह पायलट की कोशिशों का ही नतीजा है की 50 रु. की कॉल दर 5 रु प्रति मिनट हो गई. वे कहते हैं, ”हमारे चार लाख अर्द्धसैनिक बलों के लोग हैं. इन सभी के लिए कॉल दर 1 अप्रैल, 2011 से 5 रु. प्रति मिनट कर दिए गए। 

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अक्सर कुर्ता-पायजामा और सर्दियों में हाफ जैकेट पहनने वाले 36 वर्षीय पायलट का नए आइडिया को लेकर बहुत स्पष्ट सोच है. उनका मानना है, ”योजना फेल होने के डर से पहल ही नहीं करना अच्छी बात नहीं है. सचिन की यही सोच उन्हें अब तक के राजनैतिक करियर में बेदाग रखे हुए है, जबकि संचार मंत्रालय में उन्होंने २जी घोटाले के आरोपी पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ बतौर राज्यमंत्री काम किया. हालांकि इस मसले पर पायलट कहते हैं, ”यह घोटाला मेरे पदभार के समय से पहले का है. इस मामले में अदालत अपना निर्णय करेगी, लेकिन हमारी सरकार ने कभी किसी आरोप पर कार्रवाई से संकोच नहीं किया.”

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सचिन विरासत की राजनीति पर कहते हैं, ”मैं नहीं समझता हूं कि बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है कि कौन किस कोख से पैदा हुआ है, फर्क इससे पड़ता है कि आप अपने राजनैतिक जीवन में किस तरह से काम करते हैं. कितना आप लोगों को साथ लेकर चल सकते हैं क्योंकि हर व्यक्ति किसी न किसी धर्म-जाति से बंधा हुआ है.”

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जमीनी नेता को किस तरह काम करना चाहिए, यह उन्होंने अपने पिता से सीखा है. पायलट कहते हैं, ”मेरे पिताजी कहा करते थे कि दिल्ली में सरकार ने हमें यह बंगला इसलिए दिया है कि यहां हम लोगों को बिठाकर बात कर सकें, उन्हें लगना चाहिए कि उनकी बात सुनने वाला कोई है.”

 

इस सीख को अपने राजनैतिक जीवन में पायलट ने भी साकार किया है. सुबह 7 बजे उठकर चाय की चुस्की के साथ अखबार पढऩा और 2-3 घंटे आम लोगों से मिलना उनका रुटीन है. समय मिलने पर कभी-कभार व्यायाम भी कर लेते हैं. खाने में राजमा-चावल उन्हें इस कदर पसंद है कि बचपन में वे कई बार लगातार हफ्ते भर तक इसे खाते थे. 

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धर्म में उनकी बहुत रुचि नहीं है. वे बताते हैं, ”मैं बहुत ज्यादा कर्मकांड में विश्वास नहीं करता. लेकिन मेरी मां होली-दीवाली भजन या पूजा कराती हैं तो मैं वहां चुपचाप जरूर बैठ जाता हूं.” लेकिन पायलट को फिल्म देखने का बहुत शौक है. हालांकि यहां भी वे जल्दबाजी नहीं दिखाते, बल्कि पहले हफ्ता-दस दिन इंतजार करते हैं और उस फिल्म की बहुत चर्चा होती है तो ही देखते हैं.

लेकिन उन्हें घर में बैठकर फिल्म देखना पसंद नहीं, बल्कि जब भी फिल्म देखने का मन हुआ पायलट किसी भी मॉल के सिनेमा हॉल में चले जाते हैं. कॉलेज के समय शूटिंग के अलावा बैडमिंटन, क्रिकेट, फुटबॉल के शौकीन पायलट ने 4-5 साल तक नेशनल स्तर पर शूटिंग में अवार्ड हासिल किए हैं. 

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन और अमेरिका के व्हार्टन स्कूल से एमबीए करने के बाद पायलट ने बीबीसी के दिल्ली ब्यूरो में काम किया. उसके बाद वे जनरल मोटर्स में भी दो साल नौकरी कर चुके हैं. लेकिन 6 सितंबर, 2012 को वे अपनी जिंदगी का महत्वपूर्ण क्षण मानते हैं जब 6-8 महीने की कड़ी मेहनत और परीक्षा के बाद उन्हें टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट का पद मिला.

26 साल की उम्र में सांसद बनकर देश के सबसे युवा सांसद का खिताब पा चुके पायलट उस दिन देश के पहले केंद्रीय मंत्री बन गए जो टेरीटोरियल आर्मी में नियमित रूप से जुड़े. वे इसे अपने पिता का सपना बताते हैं. हालांकि पिता के असामयिक देहांत का जख्म आज भी उनके जेहन में हरा है. पायलट कहते हैं, ”बहुत कठिन समय रहा परिवार के लिए. हमेशा जख्म हरे से रहते हैं.”

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पायलट का विवाह भी राजनैतिक सुर्खियों में रहा था. 2004 में उनकी शादी जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा से हुई. दोनों का मजहब अलग होने की वजह से स्वाभाविक दिक्कतें आईं, लेकिन उन्होंने इसे सहजता से पार किया. वे अपने इसी संबंध की वजह से जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-एनसी गठबंधन सरकार की धुरी बने.

अब तक अपनी राजनीतिक सोंच और समझ से तेज़ी से आगे बढ़ रहे पायलट की चुनौती राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से काफी बढ़ गई है. राहुल गांधी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभालने के बाद से युवा नेतृत्व पर फोकस किया है. सचिन उसी कड़ी के एक अहम् अंग माने जाते हैं. उनके मुताबिक, ”परिवर्तन सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक सोच में भी है कि पार्टी को एक नए सांचे में ढालना है. इसके चलते जमीनी स्तर पर लोगों को रि-कनेक्ट करना है ताकि पार्टी की सोच को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके और अधिक लोगों को पार्टी से जोड़ा जा सके।

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लेकिन यह बदलाव राजस्थान में कितना कारगर होगा? वसुंधरा सरकार के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में भीड़ का न जुटना और अब सरदारशहर सीट से कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ बोलना यह साबित करता है कि पायलट की राह आसान नहीं है. अब जब कांग्रेस राजस्थान में एक बार फिर सत्ता में आ रही है तो अब देखना यह है की सचिन पायलट, कांग्रेस को सही राजनैतिक उड़ान कैसे दे पाते है और इसकी जनता के बीच लैंडिंग किस प्रकार करते हैं। 

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