नमश्कार दोस्तों,
दोस्तों, साल 2018 ने जाते-जाते भाजपा के अभिमानी उड़न खटोले से सारा ईंधन चूस लिया है। साल के आखिर में हुए पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव के परिणाम 11 दिसंबर को घोषित किये गए। परिणाम सामने आते ही बीजेपी प्रत्याशियों एवं पार्टी हाई कमान के चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़े हुए नज़र आये। चौतरफा मिली हार से चेहरे पे ऐसी मायूसी छाई जीसे प्रत्याशियों के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री तक नहीं छुपा पाए।
11 दिसंबर 2018 : विधानसभा चुनाव रिजल्ट की ताजा खबर
यह वक्त बीजेपी के लिए शोक करने का नहीं बल्कि आत्म मंथन करने का है। जिस पार्टी को देश की जनता ने साल 2014 में पूर्ण बहुमत से जिताया था और कांग्रेस को इतना भी वोट नहीं मिला था की वो विपक्ष के तौर पर भी खड़ा हो सके, उस पार्टी की विधान सभा चुनाव में ऐसी शिकस्त सोचनीय है।
दोस्तों अगर बीजेपी के सत्ता में आने से लेकर अबतक के शासन काल पर और कार्यप्रणाली पर गौर किया जाए तो बीजेपी को अपनी हार की मुख्य वजह पता चल जायेगी। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप खुद ही मान जाएंगे की बीजेपी ने अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल कांग्रेस और राहुल को मज़बूत बनाने में लगा दी। साथ ही इस विधान-सभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी मेहनत कांग्रेस को जिताने में लगा दी।
आइये जानते हैं बीजेपी की हार के मुख्य कारण।
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1 . चुनाव पूर्व किये वादों को जीत के बाद बताया जुमला।
इस बात पर कोई शक नहीं की हमारे पीएम को कोई बातों में हरा नहीं सकता। नरेंद्र मोदी जी एक कुशल वक्ता हैं और अपनी मन-मोहनी बातों से वे देश की जनता का विश्वास जितने में पूर्ण रूप से सफल हुए थे। यही वजह है की 2014 के चुनाव में बीजेपी ने मोदी को बीजेपी का केंद्रबिंदु बनाकर अपने तारणहार के रूप में सबसे आगे रखा और बाकि सभी बड़े छोटे तज़ुर्बेकार मोदी जी के पीछे खड़े होकर सुहावने सपने देखने लगे।
मोदी जी ने अपने लुभावने वादों से जनता का दिल जीता और बीजेपी का सत्ता पाने का सुखद स्वप्न पूरा हो गया। पर सत्ता मिलते ही उसकी चमक से बीजेपी की आंखें चौंधिया गई और उसे जनता से किया हर वादा चुनावी जुमला लगने लगा।
एक कुशल वक्ता कामयाबी शायद हासिल कर भी ले पर कामयाबी पर काबिज़ रहने की काबलियत हाशिल करने के लिए एक अच्छा श्रोता होना बहोत ज़रूरी है।
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मोदी जी के वो वादे जो चुनाव के बाद जुमला बन गए .. … …
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हर नागरिक को 15 लाख देने का लालच देकर चुनाव जीता फिर बताया चुनावी जुमला।
हर साल तीन करोड़ रोजगार देने का वादा
सत्ता में आने के बाद जीएसटी लागु कर दो करोड़ लोगों का रोजगार छीन लिया और जब बेरोजगारों ने रोजगार की मांग की तो मोदी जी ने गैर ज़िम्मेदाराना बयान देते हुए देश के युवाओं को पकोड़े बेचने की सलाह दे डाली।
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अगर मोदी जी अपने वादों पर खरे उतरते तो कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी पड़ती जनता के दिल से मोदी और बीजेपी का विश्वास घटाने के लिए। पर यह काम बीजेपी और मोदी जी ने खुद ही अपने वादा खिलाफी और गलत बयानों से पूरा कर दिया।
2 . काम के नाम पर केवल योजनाओं का नाम परिवर्तन।
इंद्रा आवास योजना को बदल कर किया प्रधानमंत्री अटल आवास योजना।
राजिव गांधी ग्रामीण विद्द्युत योजना का नाम बदलकर बदलकर किया दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति परियोजना। नगरों और सड़कों के भी बदले नाम .
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3. नई योजनाओं के नाम पर देश की जनता का उड़ाया मज़ाक।
मुद्रा योजना।
यह योजना सिर्फ दस्तावेजों तक ही सिमित रही. नए व्यवसायी और बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार के लिए सहायता के नाम पर बिना ग्यारंटी के 10 लाख तक का लोन देने की बात करने वाली मोदी सरकार ने जरुरत मंदों को ग्यारंटी मांगकर भी 20000 से अधिक की राशि नहीं दी।
डीजिटल इंडिया।
देश की जनता के बिजली और पानी तक की मूलभूल जरूरतों की समस्या को अनदेखा कर पीएम मोदी ने डीजिटल इंडिया का सपना दिखाया जिसमे शहरी युवा अपना भविष्य देखने लगे जबकि मोदी जी यह भूल गए की देश की 70 प्रतिशत आबादी गाओं में रहती है और उन्हें डिजिटल बनने से पहले आत्मनिर्भर होने की जरुरत है। अपना परिवार पलने के लिए रोजगार की जरुरत है।
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कैशलेस भारत।
जिस देश की अधिकतर छेत्र में बात करने तक के लिए नेटवर्क उपलब्ध नहीं है वहां केवल शहरों को ध्यान में रखते हुए मोदी जी ने आम जनता के हाथों छीन लिया और मोबाइल एवं अन्य डिजिटल तकनीक के माध्यम से लेनदेन करने की बात कह कर अशिक्षित और पिछड़े छेत्र के नागरिकों का जीना मुश्किल कर दिया।
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देश को डिजिटल बनाने का वादा कर सत्ता में आई बीजेपी सरकार ने अपने चार साल देश की जनता को जाती एवं धर्म के नाम पर लड़ाने में निकाल दिया। बीजेपी सरकार की सत्ता में आते ही देश के हिन्दुओं को और हिंदुत्व को न जाने कहाँ से खतरा होने लगा। नोट बंदी के नाम पर 126 लोगों की हत्या करने वाले मोदी जी ने इन मौतों की ज़िम्मेदारी लेना भी जरुरी नहीं समझा।
यही वजह है की मोदी सरकार द्वारा बार बार की गई गलतियों का फायदा कांग्रेस को मिलता रहा और कांग्रेस ने इन मौकों को बखूबी भुनाया। आज यदि राहुल गाँधी एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में उभरे हैं तो इसका सारा श्रेय बीजेपी को जाता है।